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भूख है तो सब्र कर / दुष्यंत कुमार
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13:15, 30 अगस्त 2011
इस अंगीठी तक गली से कुछ हवा आने तो दो
जब तलक खिलते नहीं ये कोयले देंगे
धुआँ
धुँआ
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दोस्त, अपने मुल्क कि किस्मत पे रंजीदा न हो
Navincchaturvedi
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