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बाएँ से उड़के दाईं दिशा को गरुड़ गया / दुष्यंत कुमार
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13:36, 30 अगस्त 2011
लेकर उमंग संग चले थे हँसी—खुशी
पहुँचे नदी के
घट
घाट
तो मेला उजड़ गया
जिन आँसुओं का सीधा
तआल्लुक़
तअल्लुक़
था पेट से
उन आँसुओं के साथ तेरा नाम जुड़ गया.
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Navincchaturvedi
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