गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
वसंत / मंगलेश डबराल
3 bytes removed
,
14:45, 10 अगस्त 2007
ठंड से मरी हुई इच्छाओं को फिर से जीवित करता
धीमे-धीमे
धुंध्वाता
धुंधवाता
ख़ाली कोटरों में
घाटी की घास फैलती रहेगी रात को
Anonymous user
Lina niaj