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16:27, 1 सितम्बर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=नवीन सी. चतुर्वेदी
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{{KKCatKavitt}}
<poem>
कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित
कुण्डलिया है जादुई, छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|
दोहा रोला का मिलन, इसकी है पहिचान||
इसकी है पहिचान, मानते साहित सर्जक|
आदि-अंत सम-शब्द, साथ बनता ये सार्थक|
लल्ला चाहे और, चाहती इसको ललिया|
सब का है सिरमौर छन्द, प्यारे, कुण्डलिया||
कुण्डलिया छन्द का विधान उदाहरण सहित
कुण्डलिया है जादुई
२११२ २ २१२ = १३ मात्रा / अंत में लघु गुरु के साथ यति
छन्द श्रेष्ठ श्रीमान|
२१ २१ २२१ = ११ मात्रा / अंत में गुरु लघु
दोहा रोला का मिलन
२२ २२ २ १११ = १३ मात्रा / अंत में लघु लघु लघु [प्रभाव लघु गुरु] के साथ यति
इसकी है पहिचान||
११२ २ ११२१ = ११ मात्रा / अंत में गुरु लघु
इसकी है पहिचान,
११२ २ ११२१ = ११ मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
मानते साहित सर्जक|
२१२ २११ २११ = १३ मात्रा
आदि-अंत सम-शब्द,
२१ २१ ११ २१ = ११ मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
साथ, बनता ये सार्थक|
२१ ११२ २ २११ = १३ मात्रा
लल्ला चाहे और
२२ २२ २१ = ११ मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
चाहती इसको ललिया|
२१२ ११२ ११२ = १३ मात्रा
सब का है सिरमौर
११ २ २ ११२१ = ११ मात्रा / अंत में लघु के साथ यति
छन्द प्यारे कुण्डलिया||
२१ २२ २११२ = १३ मात्रा
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