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असाध्य वीणा / अज्ञेय / पृष्ठ 3
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05:40, 3 सितम्बर 2011
ओस-बूँद की ढरकन-इतनी कोमल, तरल, कि झरते-झरते
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Veena_instrument
Vichitra Veena1
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मानो हरसिंगार का फूल बन गयी।
डा० जगदीश व्योम
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