{{KKGlobal}}
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|पीछे=कबीर दोहावली / पृष्ठ २
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ते दिन गये अकारथी, संगत भई न संत । <BR/>
प्रेम बिना पशु जीवना, भक्ति बिना भगवंत ॥ 201 ॥ <BR/><BR/>
कबीर मन फूल्या फिरै, करता हूँ मैं घ्रंम । <BR/>
कोटि क्रम सिरि ले चल्या, चेत न देखै भ्रम ॥ 300 ॥ <BR/><BR/>
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