Changes

कबीर दोहावली / पृष्ठ ६

499 bytes added, 19:04, 26 फ़रवरी 2008
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कबीर
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ५
|आगे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ७
|सारणी=दोहावली / कबीर
}}
 
जाका गुरु है गीरही, गिरही चेला होय । <BR/>
कीच-कीच के धोवते, दाग न छूटे कोय ॥ 501 ॥ <BR/><BR/>
सावधान और शीलता, सदा प्रफुल्लित गात । <BR/>
निर्विकार गम्भीर मत, धीरज दया बसात ॥ 600 ॥ <BR/><BR/>
 
{{KKPageNavigation
|पीछे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ५
|आगे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ७
|सारणी=दोहावली / कबीर
}}