{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=कबीर
}}
{{KKPageNavigation
|पीछे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ६
|आगे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ८
|सारणी=दोहावली / कबीर
}}
निबैंरी निहकामता, स्वामी सेती नेह । <BR/>
विषया सो न्यारा रहे, साधुन का मत येह ॥ 601 ॥ <BR/><BR/>
तू तू करूं तो निकट है, दुर-दुर करू हो जाय । <BR/>
जों गुरु राखै त्यों रहै, जो देवै सो खाय ॥ 700 ॥ <BR/><BR/>
{{KKPageNavigation
|पीछे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ६
|आगे=कबीर दोहावली / पृष्ठ ८
|सारणी=दोहावली / कबीर
}}