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'अना' क़ासमी
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* [[बर्थ पर लेट के हम सो गये आसानी से / 'अना' क़ासमी]]
* [[हमारे बस का नहीं है मौला ये रोज़े-महशर हिसाब देना / 'अना' क़ासमी]]
* [[बचा ही क्या है हयात में अब सुनहरे दिन तो निपट गये हैं / 'अना' क़ासमी]]
वीरेन्द्र खरे अकेला
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