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अनुभूति / रमा द्विवेदी

4 bytes added, 15:57, 12 अक्टूबर 2008
कैसी है विडम्बना जीवन की?<br>
सच्चे प्रेम का मूल्य,<br>
नहीं समझ पाता कोई?<br>
फिर भी वह करता है प्रेम जीवन भर,<br>
सिर्फ इसलिए कि-<br>
प्रेम उसका ईमान है,इन्सानियत है,<br>
पूजा है॥<br><br>
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