नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता अग्रवाल |संग्रह=नींद टूटने तक }} <poem> नींद टू…
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=अनीता अग्रवाल
|संग्रह=नींद टूटने तक
}}
<poem>
नींद टूटने तक
भाग्य छलता है
आकांक्षाएँ
छलती है
आदमी की नींद
उजाले को छलती है
उजाला
आदमी की नींद को
नींद टूटने तक
</poem>