तसव्वुरात  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरतीं हैं
कभी गुमान की सूरत कभी यकीं की तरह
दिलो-नज़र की दुआयें कबूल हो जायें
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
खुद अपने साये की जुंबिश से खौफ खाए हुए
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
रवाँ है छोटी-सी कश्ती हवाओं के रुख पर
मेरी खुली हुई बाहों में झूल जाता है
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
ज़बान खुश्क है आवाज़ रुकती जाती है
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
तुम्हें गुमान है कि हम मिलके भी पराये हैं।
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
दबे सुरों में वही गीत गा रही हो तुम
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
ख़लवत में भी जो ममनूअ थी वह जलवत में जसारत होने लगी
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
बदन की झेंपती उरियानियाँ छिपाए हुए
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
अलम-नसीब फ़िरासत का मोल मिल न सका
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
वह भाई 'नर्ग़ा-ए-दुश्मन' में काम आया है
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
किसी का कोई नहीं आज सब अकेले हैं
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
वह रहगुज़र जो मेरे दिल की तरह सूनी है
उफ़क पे खूने-तमन्नाए-दिल की लाली है
  तसव्वुरात की परछाइयाँ उभरती हैं
सूरज के लहू में लिथड़ी हुई वह शाम है अब तक याद मुझे