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सदस्य:Sandwivedi
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17:53, 26 अगस्त 2007
कवि - अहमद फ़राज़<br>
बुझी नज़र तो करिश्मे भी रोज़ो शब के गये<br>
के अब तलक नही पलटे हैं लोग कब के गये//<br>
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Sandwivedi