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मुझको न देख दूर से , नज़दीक आ के देख / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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00:30, 16 सितम्बर 2011
लफ़्ज़ों की आत्मा में , उतरता नहीं कोई
विपदा तू अपनी,अपने ही ,घर में
सूना
सुना
के देख
खुशबू को कैसे ले उड़ा झोंका हवा का दोस्त
Purshottam abbi "azer"
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