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बनी तस्वीर या बिगडी, जहाँ में रंग भर आए / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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05:47, 16 सितम्बर 2011
मुकद्दर इससे बढ कर तू, हमें क्या दे भी सकता है
खुदा का जिक्र आते ही, तेरा चेहरा
नजर
नज़र
आए
मैं सोते-जागते हरदम खुदा से यह दुआ माँगू
Purshottam abbi "azer"
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