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जलते बदन हैं दोनो पैदा है होती आग / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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07:10, 16 सितम्बर 2011
जलते बदन हैं दोनो पैदा है होती आग
जितना बुझाओ इसको
बढती
बढ़ती
है उतनी आग
कहते जलन है किसको पूछो तो हाल उससे
Purshottam abbi "azer"
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