गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
लगी आग सीने में मेरे लगी है / पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
9 bytes added
,
14:23, 17 सितम्बर 2011
हमारी तरफ़ से न कोई कमी है
वही दर्दे
गम
ग़म
है न पीछा ही
छोडा
छोड़ा
खुशी से भी गम को न राहत मिली है
वहीं पानी भरना यूं खड्डो का बनना
सडक
सड़क
को बनाने में कुछ तो कमी है
करामात उसकी निजामत भी उसकी
Purshottam abbi "azer"
134
edits