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आख़िरी उम्मीद / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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17:58, 17 सितम्बर 2011
बड़ी-सी अंगराई लेना चाहती है
पर तभी तुम हाथ बढ़ा देती हो
अंगुलियों
उंगलियों
में चाँदनी समेटे हुए
एक आख़िरी उम्मीद की तरह
<Poem>
Tripurari Kumar Sharma
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