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तुम्हारी याद / प्रभात कुमार सिन्हा
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|रचनाकार=प्रभात
कुमार सिन्हा
सरसिज
|संग्रह=
}}
<poem>
(
कितनी अवगम्य थी तुम्हारी याद
हृदय की संवेदनशील उदारता
चेहरे पर
त्योहार की -सी ख़ुशी रहती थी
)
Prabhat kumar sinha
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