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गीतों के गॉंव / ओम निश्चल

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फूलों के गॉंव
फसलों के गॉंव
आओ चलें गीतों के गॉंव।

महके कोई रह रह के फूल
रेशम हुई राहों की धूल
बहती हुई अल्हड़ नदी
ढहते हुए यादों के कूल
चंदा के गॉंव
सूरज के गॉंव
आओ चलें तारों के गॉंव।

पीपल के पात महुए के पात
ऑंचल भरे हर पल सौगात
सावन झरे मोती के बूँद
फागुनी धूप सहलाए गात
पीपल की छॉंव
निबिया की छॉंव
आओ चलें सुख-दुख की छॉंव।

नदिया का जल पोखर का जल
मीठी छुवन हर छिन हर पल
गुज़रे हुए बासंती दिन
अब भी नहीं होते ओझल
भटकें नहीं
लहरों के पॉंव
आओ चलें रिश्तों की नाव।
<Poem>
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