762 bytes added,
08:13, 23 सितम्बर 2011 '''मोटा पाठ'''
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सुधा गुप्ता
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
जादू की छड़ी
भला कहाँ से पाई
बोल चितेरे !
हज़ारों रंग
यूँ सिलसिलेवार
कैसे बिखेरे ?
धरा बुलाती
चित्रपटी-सी सजी
बड़े सवेरे
बतासा खा के
कचनार शाख़ से
सारिका टेरे
अमराई में
कुहू-कुहू के बोल
शहद सने रे !
घुमाई तूने
कौन-सी जादू छड़ी
बता चितेरे !
-0-
</poem>