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कवर टिप्पणी (गोपाल दास नीरज एवं बशीर बद्र / वीरेन्द्र खरे 'अकेला'
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14:34, 23 सितम्बर 2011
''''''पद्मश्री डॉ. गोपालदास 'नीरज'''''''
*अकेला की ग़ज़ल वो लहर है जो ग़ज़ल के समुन्दर में नयी हलचल पैदा करेगी ।
]]
'''''' डॉ.बशीर बद्र''''''
<poem>
Tanvir Qazee
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