1,620 bytes added,
16:43, 24 सितम्बर 2011 ""संघर्ष"
सूरज की सुनहरी किरने
नए दिन का आगाज है
रुक नही आगे बढ़
तेरे दिल की आवाज है
दुःख से जो तू थक गया
उजाला कहाँ से लायेगा
अँधेरा मिटने जीवन का
संघर्ष कहाँ से आएगा
मजबूत बन, धीरज धर
हाथ पकड़ उस पथ का
मंजिल पर जिसे पहुँचना है
काँटों की इस नगरी में
गुलाब हमें उगाना है
दहाड़ते शेर की पुकार से
डर कर ना बैठ जाना है
संयम को अपनी दीवार बनाकर
ये लड़ाई लड़ते जाना है
खवाबो को पूरा करने
खुदा को भी जमी पर आना है
आएगा वो सुनहरा दिन
रूह जिसके लिए रूमानी है
बेरहम इस वक़्त को
शिकस्त हमें दिलानी है !