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हाथ हरियाली का इक पल में झटक सकता हूँ मैं / नोमान शौक़
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08:45, 3 अक्टूबर 2011
आग बन कर सारे जंगल में भड़क सकता हूँ मैं
मैं अगर तुझको मिला सकता हूँ
मेहरो
मेहर-ओ-
माह से
अपने लिक्खे पर सियाही भी छिड़क सकता हूँ मैं
Thevoyager
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