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मुद्दत-सी हो गई ,गम-ए-दर्द को सम्भाले/पुरुषोत्तम अब्बी "आज़र"
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03:25, 12 अक्टूबर 2011
तौफीक दे तू मौला ,या एसा निजाम दे- दे
ग़ुरबत
भूखे
में जी
को
रहे जो , उनको मिलें
दे
सँकू मैं दो वक्त के
निवाले
हमको कसम तुम्हारी ,कुछ तो यकीन कर लो
Purshottam abbi "azer"
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