742 bytes added,
09:50, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>ना लपेट ना लाग हुवै
आखर-आखर आग हुवै
फळै सपनो थारो-म्हारो
सोगरा फळी साग हुवै
सांस-सांस जीवै सौरम
हरियाळो मन बाग हुवै
अब स्सो कीं हुवै ऊजळो
कठै न कोई दाग हुवै
भींतां रो के काम अठै
हर ठौड़ मिनख-राग हुवै</poem>