981 bytes added,
09:52, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>बागां में फूल फूलां में सौरम है
आ रुत हुई नशीली रुत में दम है
नैणा में जादू होठां में इमरत
थारै हाथां जो पी लेवां कम है
थारा पग पड्यांप दूणो हो जासी
म्हारी मन-गळी में हरख हरदम है
मुळकै बतळावै दिशावां आज तो
नाचै-गावै हवा हुवै छम-छम है
सुपनां में चूड़ी-टिकी-गळबाथां
मन म्हारा घर हालण रो मौसम है</poem>
Delete, Mover, Reupload, Uploader