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15:28, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
}}
{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>सूरज नै पजावण रो ढंग देखो
रात सूती नागी तड़ंग देखो
पैली तो ओलै-छानै लड़ता म्हे
अब सड़का माथै हुवै जंग देखो
डुसकां सागै आया आंसू बारै
मन-दुख री बात चढगी चंग देखो
घराळा छोड मुलक ढूकै आंगणै
दिल कित्तो दरिया कित्तो तंग देखो
आंधी नित निंदरावै खेतड़ला
पण ऊगै औ बीज दबंग देखो</poem>
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