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15:29, 16 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आ सदी मिजळी मरै / सांवर दइया
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{{KKCatMoolRajasthani}}
{{KKCatKavita}}
<poem>हाल चाल कांई बतावां भायला
रोज लावां रोज खावां भायला
औ सूरज है म्हांरी अनमोल घड़ी
इणी सागै सोवां-जागां भायला
काल री काल देखसां सुण तो सरी
आज तो आ सांस बचावां भायला
निभै जित्तै तो निभाणो ई है धरम
मांय रोवां ऊपर गावां भायला
ठाह पड़ जावै तो करजै मत रीस
खुद सूं ई मूंडो लुकोवां भायला</poem>
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