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14:26, 21 अक्टूबर 2011 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=सांवर दइया
|संग्रह=आखर री औकात / सांवर दइया
}}
[[Category:मूल राजस्थानी भाषा]]
{{KKCatKavita}}<poem>म्हे कुलखणा
आ गिन्धावती गळी
-थे अठै किंयां ?
०००
सांस व्है एक
जाणता थकां करो
सांस रो सौदो
०००
पैली दड़ूकै
सामैं मण्डै कोई तो
ऐ करै छेरा
०००
काच में देखै
चूंच सूं चूंच जोड़ै
भोळी चिड़ी
०००
अबै व्है कांई
रूळग्या म्हारा भाई
रोटी-लुगाई
०००
</poem>