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सीधी बात / जय गोस्वामी
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09:57, 29 अक्टूबर 2011
उसी के सामने उसके बच्चे की दोनों टाँगे पकड़
दो तरफ़ खींचो,
खींचो,
जब तक वह सीधे-सीधे चिर न जाए
खींचो !
इसे कहते हैं सीधी बात । इसी का नाम है ताक़त दिखाना !
'''बांग्ला से अनुवाद : संजय भारती'''
</poem>
अनिल जनविजय
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