'{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अनीता अग्रवाल |संग्रह= }} <poem> जाने कब ...' के साथ नया पन्ना बनाया
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{{KKRachna
|रचनाकार=अनीता अग्रवाल
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जाने कब इतने बड़े-बड़े पंख निकल आए
चिड़िया के
उनके उड़ने की आहत न हुई
और शहर में सन्नाटा पसर गया।
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