गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
बेशर्म कहानियां / मनोज श्रीवास्तव
No change in size
,
10:09, 9 नवम्बर 2011
छोरी में छोरे और छोरों में छोरियां,
रंडों में रंडियां,
ब्लाउज और साड़ी में
कराते
कराटे
और पाप वाली
शहरी रणचंडियाँ
काल और अकाल
सब कुछ समेटे हुए
ज़िंदगी के ज्वार-
भाते
भाटे
गोद में दुलराती हैं,
पर, जब जी में आया हमें
Dr. Manoj Srivastav
635
edits