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बूढ़े इन्तज़ार नहीं करते
अपनी हड्डियों में बचे रह गये गए अनुभव के सफद कैल्सियमसफ़ेद कैल्शियम
से
खींच देते हैं एक सफद सफ़ेद और खतरनाक ख़तरनाक लकीर
और एक हिदायत
कि जो कोई भी पार करेगा उसे
वह बेरहमी से कत्ल क़त्ल कर दिया जाएगा
अपनी ही हथेली की लकीरों की धर से
और उसके मन में सदियों से पेंफटा फेंटा मार कर बैठा
ईश्वर भी उसे बचा नहीं पाएगा
बूढ़े इन्तजार इन्तज़ार नहीं करतेवे कांपते काँपते-हिलते उबाऊ समय को बुनते हैं
पूरे विश्वास और अनुभवी तन्मयता के साथ
शब्द-दर-शब्द देते हैं समय को आदमीनुमा ईश्वर का आकार
इस संकल्प और घोषणा के साथ
कि उसकी परिक्रमा किए बिना
जो कदम क़दम बढ़ाएगा आगे की ओरवह अन्ध अन्धा हो जाएगा एक पारम्परिक
और एक रहस्यमय श्राप से
यह कर चुकने के बाद
उस क्षण उनकी मोतियाबिन्दी आँखों के आस-पास
कर्त्तव्य निभा चुकने के सकून से
अपने चेहरे की झुर्रियाँ पोंछते हुए
बूढ़े इन्तजार इन्तज़ार नहीं करतेवे ध्ुँध्ुआते धुँधुआते जा रहे खेतों के झुरमुटों कोतय करते हैं सध्े कदमों सधे क़दमों के साथ
जागती रातों की आँखों में आँखें डाल
बतियाते जाते हैं अँध्ेरे अँधेरे से अथकरोजरोज़-ब-रोज रोज़ सिकुड़ती जा रही पृथ्वी के दुःख पर करते हैं
चर्चा
उजाड़ होते जा रहे अमगछियों के एकान्त विलाप के साथ
वे खड़े हो जाते हैं प्रार्थना की मुद्रा में
टिकाए रहते हैं अपनी पारम्परिक बकुलियांबकुलियाँ
गठिया के दर्द भुलाकर भी
ढहते जा रहे संस्कार की दलानों का बचाने के लिए
बूढ़े इन्तजार इन्तज़ार नहीं करतेहर रात बेसुध् बेसुध होकर सो जाने के पहलेवे बदल देना चाहते हैं अपने पफटे फटे लेवे की तरह
अजीब-सी लगने लगी पृथ्वी के नक्शे को
और खूटियों पर टंगे कैलेण्डर से चुरा कर रख लेते हें
एकादसी एकादशी का व्रतसतुआन और कार्तिक स्नान अपनी अपने बदबूदार तकिए के नीचेअपने गाढ़े और बूरे वक्त बुरे वक़्त को याद करते हुए बूढ़े इन्तजार इन्तज़ार नहीं करते
अपने चिरकुट मन में दर-दर से समेट कर रक्खी
जवानी के दिनों की सपनीली चिट्ठियों
और रूमानी मन्त्रों से भरे जादुई पिटारे को
मेज मेज़ पर रखी हुई पृथ्वी के साथ सौंप जाते हैंघर के सबसे अबोध्अबोध
और गुमसुम रहने वाले एक मासूम शिशु को
और एक दिन बिना किसी से कुछ कहे
अपनी सारी बूढ़ी इच्छाओं को
अध्ढही अधढही दलान की आलमारी में बन्द कर
वे चुपचाप चले जाते हैं मानसरोवर की यात्रा पर
या कि अपने पसन्द के किसी तीर्थ या धम धाम परऔर फर फिर लौट कर नहीं आते........।
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