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<Poem>
ज़माने से बग़ावत कर रहा हूँ
मै यूँ तुमसे मुहब्बत कर रहा हूँ

मेरे चेहरे पे खुशियाँ ढूँढते हो
मै अश्कों कि तिजारत कर रहा हूँ

ग़लत मानी से ग़ज़लों को बचाकर
अदब कि मै हिफ़ाज़त कर रहा हूँ

मै बच्चों को दिलाता हूँ गुबारे
मै यूँ भी तो इबादत कर रहा हूँ

थामे बारिश तो रोज़ी ढूंढ़ लूँगा
अभी छत कि हिफ़ाज़त कर रहा हूँ

'मनु' अल्लाह कि रहमत हो मुझपर
मै सच कहने कि जुर'अत कर रहा हूँ</poem>
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