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21:31, 18 नवम्बर 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
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<Poem>
ज़िन्दगी पीपल का पत्ता ही सही
मै अगर टूटा तो टूटा ही सही
आपकी मर्ज़ी है ठुकरा दीजिए
प्यार में हमदम ये सौदा ही सही
मरहले इस ज़िन्दगी के दोस्तों
कम न हों तो फिर इजाफा ही सही
लिख भी दीजे इश्क की तकदीर आप
ये मेरी क़िस्मत है धोका ही सही
आप आयेंगे मेरे ख्वाबों में आज
एक वादा और झूठा ही सही
है बहुत बदनाम अपने शहर में
ऐ 'मनु' इन्सां तू अच्छा ही सही</poem>