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21:45, 18 नवम्बर 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=मनु भारद्वाज
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<Poem>
तू मेरे ख्वाब कि एक तस्वीर थी
तुझको चाह था पूजा था मैंने कभी
मुद्दतों तेरी पायल कि आवाज़ ने
मेरे कानों में जादू भरा था सनम
मेरी साँसों में ख़ुश्बू तेरे जिस्म कि
बस गई थी हकीक़त में तेरी क़सम
मुद्दतों तेरी खातिर मै सोया नहीं
मुद्दतों कि थी मैंने तेरी बंदगी
मुद्दतों तू लगी मुझको मेरी ग़ज़ल
उफ़ तेरी वो कशिश, तेरी पाकीज़गी
मुद्दतों तेरी जुल्फों के साए रहे
मुद्दतों मेरी आँखों में डूबा रहा
मुद्दतों कैंवासों पे चेहरा तेरा
मै बनता रहा फिर मिटाता रहा
मुझको फिर से रुलाने चली आई है
यक-ब-यक याद तेरी ओ रूटे सनम
तू है मेरी तो मै हूँ तेरा बस तेरा
और तेरा ही रहूँगा जनम-दर-जनम</poem>