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सपना सही / नंदकिशोर आचार्य
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05:53, 29 नवम्बर 2011
<poem>
सपना सही तुम्हारा
मैं
रहोगे देखते जब तक
मेरे बन्दी रहोगे तुम—
देखोगे नहीं तो भला
कैसे रह सकोगे ईश्वर
तुम मेरे
मुझ ही में है तुम्हारी
मुक्ति
बाँध पाता है जो सपना
अनिल जनविजय
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