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07:36, 6 दिसम्बर 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=विनोद पाराशर
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<poem>
मॆं-भी
अपनी-बंद मुट्ठियों में
भर सकता हूं
सफलता का सम्पूर्ण इतिहास
बन सकता हूं
कोई चमकता सितारा
या फिर-आकाश
कोई मजबूत-सी
सीढी मिल जाये
काश!