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चार तिनके उठा के / गुलज़ार
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22:15, 12 दिसम्बर 2011
चार तिनके उठा के जंगल से<br />
एक बाली अनाज की लेकर<br />
चाँद
चंद
कतरे बिलखते अश्कों के<br />
चाँद
चंद
फांके बुझे हुए लब पर<br />
मुट्ठी भर अपने कब्र की मिटटी<br />
मुट्ठी भर आरजुओं का गारा<br />
शरद
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