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तोरा मन दर्पण कहलाये / साहिर लुधियानवी
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12:36, 24 दिसम्बर 2011
तन की दौलत ढलती छाया मन का धन अनमोल
तन के कारण मन के धन को मत
माटि मेइन
माटी में
रौंद
मन की क़दर भुलानेवाला वीराँ जनम गवाये
तोरा मन दर्पण कहलाये
तोरा मन दर्पण कहलाये
</poem>
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