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कभी हां कुछ मिरे भी शेर के पैकर में रहते हैं / ‘अना’ क़ासमी
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{{KKRachna
|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=
|संग्रह=हवाओं के साज़ पर / 'अना' क़ासमी
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वीरेन्द्र खरे अकेला
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