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हरापन नहीं टूटेगा (नवगीत) / रमेश रंजक
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07:14, 26 दिसम्बर 2011
रोशनी पुरज़ोर करने में
चाट
जाये
जाए
धूल की दीमक भले ही तन
मगर हरापन नहीं टूटेगा
वक्ष के ऊपर गढ़ी हैं
बन्धु! जब-तक
दर्द का यह स्रोत-सावन नहीं टूटेगा
हरापन नहीं टूटेगा
</poem>
अनिल जनविजय
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