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कड़की का गीत / रमेश रंजक

2 bytes added, 07:35, 26 दिसम्बर 2011
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’दिन तो बेचा’ इसके बेचा’—इसके बाद भी
जीना जब हो गया कठिन,
(रात रख दी गिरवी
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