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लकड़-सुँघवा / फ़रीद खान

6 bytes added, 23:00, 31 दिसम्बर 2011
(तपती दुपहरी में लकड़ी सुँघा कर बच्चे को बेहोश करके बोरे में भरकर ले जाने वाला ।)
::००
लू के मौसम में,
जब सुबह का स्कूल होता है,
एक दिन धूल जमी बस्ती, मिट्टी में दब गई गहरी ।
समतल सपाट मैदान ही केवल उसका गवाह था ।
 ::००
ज़मीन के अन्दर दबी बस्ती उभर आई अचानक ।
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