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कवि गगन विहारी / अनिल जनविजय
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राम नाम वे लुटा रहे, लूट सके तो लूट ।
हि्न्दू
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जन का विश्वास हैं कवि गगन विहारी ।।
धर्म की ध्वजा उठाए, रक्तपात में लीन ।
अनिल जनविजय
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