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16:52, 16 जनवरी 2012 <poem>
भितरा से बोलीं हैं रानी कौशिल्या सुनो राजा दशरथ बचनी हमारी
सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बडि थोरी
सोभ्वा से बोले\ है राजा दशरथ सुनो जनक बचनी हमारी
सगरी अजोध्या में राम दुलरुआ तिलक आई बड़ी थोरी
हाथ जोरी राजा जनक जी बिनवैं सुनो दशरथ बचनि हमारी
तू तो हयो तीनो लोक ठाकुर हम होई जनक भिखारी
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