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16:58, 16 जनवरी 2012 <poem>
एक बन गईं दुसरे बन गईं तीसरे बबिया बन
बेटी झलरी उलटी जब चित्वें तो मैया के केयू नाही
लाल घोड़ चितकबर वहिसे वै पिया बोलें
धना हमरे पतुक आंसू पोछो मैया सुधि भूली जाव
केना मोरी भुखिया अगेंहैं तो केना पियसिया
केना जगहियें आल्ह्ड निन्दियन अपने मैयरिया बिन
मईया मोरी भुखिया अगेंहैं बहिनी पियसिया
हमही जगेईबै आल्ह्ड निन्दिया तो मईया सुधि भूली जाओ
मईया तोहरी गरियहै बहिनी टुकरीहै
आपे प्रभु गरजी तड़प बोलिहै छतिया बिहरी जेईहैं
मईया मोरी बहुअरि गोहरैहैं बहिन भउजी
कहिहैं हमही लागैबें हिरदैया मईया सुधि भूली जाओ
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