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दस्तकें / निदा फ़ाज़ली

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uploaded by Prabhat
दरवाज़े पर हर दस्तक का

जाना-पहचाना

चेहरा है


रोज़ बदलती हैं तारीखें

वक़्त मगर

यूँ ही ठहरा है


हर दस्तक है 'उसकी' दस्तक

दिल यूँ ही धोका खता है

जब भी

दरवाज़ा खुलता है

कोई और नज़र आ जाता है |


जाने वो कब तक आएगा ?

जिसको बरसों से आना है

या बस यूँ ही रस्ता ताकना

हर जीवन का जुर्माना है |
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