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दस्तकें / निदा फ़ाज़ली
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14:19, 20 जनवरी 2012
जिसको बरसों से आना है
या बस यूँ ही रस्ता
ताकना
तकना
हर जीवन का जुर्माना है |
Prabhat.gbpec
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